श्रावण की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह राखी का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बना देता है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है, राखी बांधती है, मिठाई खिलाती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन लेता है, तथा उसके सुख-दुख में साथ रहने का वादा करता है। कोरोना वायरस की वजह से भले ही इस त्योहार की रौनक थोड़ी फीकी पड़ी है, लेकिन भाई-बहन के रिश्ते में पहले से भी ज्यादा मिठास आ गई है। वैसे तो इस खास दिन पर हर बहन कोशिश करती है कि वो अपने भाई की कलाई पर प्रेम का धागा बांध सके, लेकिन अगर किसी कारण भाई-बहन इस पर्व पर ना मिल पा रहे हों तो वे मैसेज के जरिए एक दूसरे को शुभकामनाये कर लेते हैं।
Happy Raksha Bandhan 2021: रक्षाबंधन का त्योहार इस बार 50 वर्षों बाद ऐसे विशेष संयोग पर मनाया जाएगा। इस बार रक्षा बंधन रविवार (22 August 2021) को मनाया जाने वाला है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व श्रवण की पूर्णिमा को मनाया जाता है जो कि इस बार 22 अगस्त 2021 को है। ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी के अनुसार रक्षाबंधन के दिन ग्रह एवं नक्षत्रों का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन घनिष्ठा नक्षत्र के साथ ही शोभन योग है। शोभन योग से शुभता में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि इस दिन पूर्णिमा तिथि का मान शाम 5:31 बजे तक एवं धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 7:38 बजे तक है। चंद्रमा इस बार कुंभ राशि में होंगे।
रविवार 22 अगस्त को राखी का त्योहार है. इस दिन को भाई-बहन के प्रेम एव प्यार के प्रतीक रूप में मनाया जाता है. इस दिन बहन राखी बांधती हैं और भाई उसे कुछ ना कुछ उपहार देता है।
यानी जिस दिन अपराह्न काल से पूर्णिमा तिथि का संबंध हो, वही तिथि श्रावणी उपाकर्म सहित रक्षाबंधन में ग्राह्य होती है। अबकी अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा 22 अगस्त को मिल रही है। सुबह से आरंभ होकर संपूर्ण दिन उपाकर्म, देव-ऋषि-पितृ तर्पण आदि से निवृत्त होकर रक्षाबंधन मनाना शुभ रहेगा। अत: इस बार रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त अपराह्न काल अर्थात दिन में एक बजे से शाम 5:01 तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा 21 अगस्त को शाम 7:01 बजे लगेगी और 22 अगस्त को शाम 5:32 बजे तक रहेगी। 22 अगस्त को प्रात: 6:17 के बाद ही रक्षाबंधन का पर्व आरंभ होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार विधि-विधान से रक्षासूत्र धारण करने पर व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है।
रक्षाबंधन पर इस बार न तो ग्रहण की छाया रहेगी और न ही भद्रा की झंझट। हालांकि सुबह में ही भद्रा का प्रभाव होने के कारण दिन भर राखी बांधने का मुहूर्त मिलाया जा रहा है। श्रावणी पूर्णिमा दो दिन है और इसमें पहले दिन व्रत की पूर्णिमा का मान होगा तो दूसरे दिन स्नान-दान, पूजन और रक्षाबंधन का त्यौहर मनाया जाएगा। श्रावणी पूर्णिमा के मुहूर्त और भद्रा को लेकर काशी के ज्योतिषियों की राय भी अलग-अलग है।
ज्योतिषाचार्य आचार्य ऋषि द्विवेदी ने बताया है कि श्रावण पूर्णिमा 21 अगस्त को शाम 6:10 बजे से 22 अगस्त की शाम 5:01 बजे तक रहेगी। श्रावण पूर्णिमा पर भद्रा 21 अगस्त को शाम 6:10 बजे से लगेगी और 22 अगस्त को भोर में 5:35 बजे तक समाप्त होगी। रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो भविष्य पुराण के अनुसार, श्रावणी उपाकर्म सहित रक्षाबंधन में दोपहर बाद व्यापिनी पूर्णिमा ली जाती है।