कोरोना महामारी के बीच सोमवार को सावन की आखिरी सोमवारी और भाई बहनों का पवित्र पर्व रक्षाबंधन मनाया जायेगा। देश भर में लाखों श्रद्धालु भोलेनाथ को सावन की आखिरी पांचवीं सोमवारी पर जलाभिषेक -रुद्राभिषेक करेंगे तो दूसरी बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर रक्षासूत्र राखी बांधेंगी।
इस सोमवार भी श्रद्धालु घरों और गली मोहल्लों के छोटे मंदिरों, बंद मंदिरों के पटों के पास भी भोलेनाथ को दूध, दही, गंगाजल, गन्ने (ईख) के रस आदि से अभिषेक करेंगे और भांग, धतूरा, आक फूल अर्पित करके से मुक्ति की गुहार लगायी जायेगी।
हिन्दू सुरक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा श्री हिन्दू तख्त के धर्माधीश तथा कामाख्या पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु पंचानंद गिरि महाराज कहते हैं कि सावन की पांचवीं सोमवारी पर श्रावणी पूर्णिमा , बुधादित्य योग,विषयोग व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग है। पूर्णिमा के देवता चंद्रदेव हैं और सोमवार के भगवान शिव हैं। भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा विराजमान हैं। वहीं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ही देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। यह संयोग शुभ फलदायी है। इससे इस सोमवारी को जिन श्रद्धालु की कुंडली में विष योग, ग्रहण योग और केमद्रुम योग है उन्हें भगवान शिव की आराधना करने से इन ग्रहों से मुक्ति मिलेगी। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहने पर शिवकी पूजा से व्याधियों व विपत्तियों का नाश होगा।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद जी महाराज कहते हैं कि सावन की सोमवारी पर भगवान शिव और मां पार्वती धरती पर विचरण करने आते हैं। सावन की सोमवारी पर व्रत पूजन से साल भर के सोमवारी व्रत का फल मिलता है। भोलेनाथ का गन्ने (ईख) से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की वृद्धि, दूध से अभिषेक करने पर सर्व कल्याण होता है। सावन के हर दिन शिववास होता है। सावन का हर दिन भोलेनाथ को प्रिय है। इसलिये सावन में हर दिन शिव की आराधना कल्याणकारी होती है।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद जी महाराज कहते हैं कि सावन की सोमवारी शिव चालीसा, ओम नमः शिवायः, रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर स्रोत का पाठ करें। गंगाजल, दूध, दही, घी, मधु, ईख का रस अभिषेक करें। बेलपत्र, आक का फूल, कनेर, नीलकमल, कमल, भांग, धतूर, भस्म. चंदन, रोली, शमीपत्र, कुश, श्रीफल यथा शक्ति अर्पित करें।