छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू)- प्रतिवर्ष अनुसार संत श्री आशारामजी बापू आश्रम लिंगा में शरद पूर्णिमा महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया । कोविड-19 की गाइडलाइंस का पूर्ण रूप से पालन किया गया। लिंगा ग्राम के आसपास के ग्राम बिसापुर रांजना, गोंदरा, उभेगांव, उमरानाला, मोहखेड़, सौंसर, बिछुआ के हजारों साधक भक्तों ने उपस्थित दर्ज की । इस अवसर पर पूज्य बापूजी की कृपा पात्र शिष्या साध्वी रेखा बहन का दिव्य सत्संग सम्पन हुआ । साध्वी बहन ने बताया कि शरद पूर्णिमा का हमारे वेद पुराणों में विशेष महत्व है। आज के दिन चन्द्रमा की रोशनी में खीर पकाकर खाने से मनुष्य वर्ष भर निरोगी और स्वस्थ रहता है । चन्द्रदर्शन का भी नियम है। चन्द्रमा को देर तक टक-टकी लगाकर देखने से नेत्र ज्योति बढ़ती है तथा मस्तिष्क की बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं। जिनकी कुंडली मे चन्द्र दोष होता है, जिन्हें बहुत गुस्सा आता है उनको भी आज के दिन चन्द्रदोष से राहत मिलती है । और ध्यान, भजन- पूजन, रात्रि जागरण का विशेष लाभ होता है। ऐसे अनगिनत लाभ शरद पूर्णिमा पर्व के हैं। यह हमारी हजारों वर्ष पुरानी परंपरा है । इस पर वैज्ञानिकों ने लम्बी रिसर्च की । और इस निष्कर्ष पर पहुंचे की इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत निकट होता है इसलिए यह सब होता है। दिन भर आश्रम में साधक भक्तों का तांता लगा रहा । सभी के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई थी तथा रात्री में खीर उत्सव का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में म.प्र. शासन के पूर्व मंत्री नाना भाऊ मोहोड़, भाजपा के विलास घोंघे, मनोज ठाकरे, कमलेश साबले, आसपास के जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक मुख्य रूप से उपस्थित रहे । इस दैवीय कार्य में खजरी आश्रम के जयराम भाई , समिति के अध्यक्ष मदनमोहन परसाई, गुरुकुल की संचालिका दर्शना खट्टर, महिला उत्थान आश्रम की संचालिका साध्वी नीलू बहन,
लिंगा आश्रम की संचालिक साध्वी प्रतिमा बहन, सुभाष इंग्ले, आशोक कराडे, अशोक मोरे, दशरथ मोरे, विलास घोंघे, महिला समिति की सुमन दोईफोड़े, विमल शेरके, डॉ. मीरा पराडकर, छाया सूर्यवंशी, करुणेश पाल, शकुंतला कराडे, योगिता पराडकर मुख्य रूप से थे।