दिनांक – 01 अक्टूबर 2022
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी रात्रि 08:46 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – ज्येष्ठा 02 अक्टूबर प्रातः 03:11 तक तत्पश्चात मूल
योग – आयुष्मान रात्रि 07:59 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल – सुबह 09:30 से 11:00 तक
सूर्योदय – 06:31
सूर्यास्त – 06:27
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:55 से 05:43 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:05 से 12:53 तक
व्रत पर्व विवरण – नवरात्रि, माँ कात्यायनी देवी की पूजा
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
नवरात्रि – (01 अक्टूबर )
नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी देवी की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है । कात्यायनी देवी दुर्गा जी का छठा अवतार हैं । शास्त्रों के अनुसार देवी ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ गया । माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं ।
षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्त्व बताया गया है । इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए । इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है ।
पुण्यदायी तिथियाँ एवं योग
२ अक्टूबर : रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से शाम ६:४८ तक)
५ अक्टूबर : विजयादशमी (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), विजय मुहूर्त (दोपहर २:२६ से ३:१३ तक) (संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य, सीमोल्लंघन के लिए), दशहरा, गुरु-पूजन, अस्त्र-शस्त्र – शमी वृक्ष- आयुध-वाहन पूजन
६ अक्टूबर : पापांकुशा एकादशी (उपवास से यमयातना नहीं प्राप्त होती । स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्य, सुंदर स्त्री, धन व मित्र देनेवाली । व्रत से माता, पिता व पत्नी के पक्ष की १०-१० पीढ़ियों का उद्धार ।) (इस एकादशी से शरद पूर्णिमा तक रात्रि में चन्द्रमा को कुछ समय एकटक देखें व शरद पूर्णिमा की रात में सूई में धागा पिरोयें, इससे नेत्रज्योति बढ़ती है ।)
९ अक्टूबर : शरद पूर्णिमा (रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध-चावल की खीर का सेवन पित्तशामक है ।)
९ अक्टूबर से ८ नवम्बर : कार्तिक मास व्रत व पुण्यस्नान (कार्तिक मास में आँवले की छाया में भोजन करने से पाप नष्ट हो जाता है व पुण्य कोटि गुना होता है ।)
१६ अक्टूबर : रविवारी सप्तमी (सुबह ७:०४ से १७ अक्टूबर सूर्योदय तक)
१७ अक्टूबर : संक्रांति (पुण्यकाल दोपहर १२:२४ से सूर्यास्त तक)
२१ अक्टूबर : रमा एकादशी (चिंतामणि व कामधेनु के समान सर्व मनोरथपूर्तिकारक व्रत), ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महँगीबाजी का महानिर्वाण दिवस
२२ अक्टूबर : धनतेरस, भगवान धन्वंतरि जयंती २३ अक्टूबर : नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि)
२४ अक्टूबर : नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान), दीपावली (दीपावली की रात्रि में किया गया जप-तप, ध्यान-भजन अनंत गुना फल देता है ।)
२५ अक्टूबर : खंडग्रास सूर्यग्रहण (पूर्व भारत के कुछ भाग छोड़कर पूरे भारत में दिखेगा, जहाँ दिखेगा वहाँ नियम पालनीय अहमदाबाद में ग्रहण समय: शाम ४:३८ से शाम ६:०६ तक: अन्य शहरों के ग्रहण समयों हेतु लिंक: bit.ly/grahan2022)
२६ अक्टूबर : वि.सं. २०७९ नूतन वर्षारम्भ (गुज.), कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), भाईदूज