जयपुर/चंडीगढ़, 9 जुलाई (प्रेस की ताकत बयूरो)- मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने आज राज्य में नदी के पानी की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए नया जल ट्रिब्यूनल स्थापित करने की ज़ोरदार वकालत की।
जयपुर में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता अधीन हुई उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक के दौरान राज्य का पक्ष रखते हुए पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सतलुज यमुना लिंक नहर का विरोध करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि पंजाब के पास पानी की एक भी बूँद दूसरे राज्यों के साथ साझा करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में भूजल का स्तर पहले ही नीचे जा रहा है और ज़्यादातर ब्लॉक खतरे की हद तक (डार्क ज़ोन) पहुँच चुके हैं। बैंस ने कहा कि ट्रिब्यूनल द्वारा पिछले समय में नदी के पानी के वितरण का जो मुल्यांकन किया गया था, वह मौजूदा हालात में तर्कसंगत नहीं है।
बैंस ने पंजाब द्वारा साल 1972 की इंडस कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए हरियाणा की ओर से यमुना से पानी देने की माँग की। उन्होंने कहा कि पंजाब में पानी के मौजूदा हालात का जायज़ा लेने के लिए नये ट्रिब्यूनल का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे आज के समय की तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी और राज्य को पानी के उचित प्रयोग की इजाज़त मिलेगी। दोनों मंत्रियों ने कहा कि यह सुनिश्चित बनाना समय की ज़रूरत है कि पंजाब का पानी सतलुज यमुना लिंक नहर या अन्य किसी ढंग से किसी अन्य राज्य को ना दिया जाए।
विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुए कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब यूनिवर्सिटी के मौजूदा स्वरूप में किसी भी तरह के बदलाव का ज़ोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाने के किसी भी कदम का डटकर विरोध किया जाएगा। चीमा ने कहा कि वह यूनिवर्सिटी के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं आने देंगे, क्योंकि इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रांतीय अहमीयत के कारण यह संस्था पंजाब के लोगों के दिलों में जज़्बाती सांझ रखती है।
दोनों मंत्रियों ने भाखड़ा ब्यास प्रशासनिक बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) में से पंजाब की नुमायंदगी हटाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि राज्य को यह हरगिज़ मंज़ूर नहीं। उन्होंने कहा कि बी.बी.एम.बी. की मौजूदा व्यवस्था के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए। दोनों मंत्रियों ने कहा कि राज्य के सदस्य को हटाने का ऐसा कोई भी कदम ग़ैर-वाजिब है।
दोनों कैबिनेट मंत्रियों ने पौंग डैम और भाखड़ा डैम को पूरी तरह से भरने संबंधी राजस्थान और हरियाणा सरकारों के प्रस्ताव का भी सख़्त विरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे पंजाब में बाढ़ आती हैं, जिससे राज्य में भारी जान-माल का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक रूप से ऐसा किया जाना संभव नहीं है।