जालंधर,11 दिसम्बर (प्रेस की ताकत बयूरो)- कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह आजकल कुछ राजनैतिक मसलों को ले कर बहुत चर्चा में है। पहला मसला उन की पड़ोसी हलकों में बढ़ रही रूचि का है और दूसरा बीते दिन पंजाब के होम मनिस्टर सुखजिन्दर रंधावा के साथ हुई तीखापन का है। इन दोनों मसलों समेत पंजाब की राजनीति और राणा गुरजीत की निजी ज़िंदगी और कारोबार पर जग वाणी के प्रतिनिधि रमनदीप सिंह सोढी ने विशेष बातचीत की। इस दौरान राणा ने कहा कि टिकट सगाई सभी का अधिकार है, इसी लिए उन का बेटा अपना काम कर रहा है, टिकट देना या न देना पार्टी का फ़ैसला है। उन्हों ने कहा कि मैं तब तक सुलतानपुर लोधी नहीं जाऊँगा, जब तक बेटा अपने ज़ोर पर टिकट नहीं ले लेता। पेश है पूरी बातचीत।
चर्चा है कि आप सुलतानपुर और भुलत्थ में खुलकर दखलअन्दाज़ी कर रहे हो?
देखो, लोग मुझे पसंद कर हैं, मैं जहाँ भी जाता हूँ लोग मेरी इज्जत करते हैं। रही बात सुलतानपुर लोधी, तो आजकल बच्चों की अपनी रूचि है। पहले जब मैं अपने बेटे को कहता था कि राजनीति में आओ, तो वह नहीं मानता थी और कहता थी कि मैं कारोबार करना चाहता हुँ। परन्तु आज उस का मन है, इस लिए वह या तो मेरी सीट लेगा, या वह पड़ोसियों की तरफ जाऐगा। रही बात मेरे बेटो के सुलतानपुर हलके में जाने की, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे टिकट मिल गई है, यह पार्टी तय करेगी कि वहाँ से कौन जित्तेगा। किसी को घबराने की ज़रूरत नहीं है। हम पिछले 5सालों में जो भी किया है, वह सब के सामने आ जायेगा। यदि कोई मेरे हलके में आ कर टिकट की माँग करता है तो मैं उन का स्वागत करता हूँ।
चीमा कहते हैं कि राणा अपनी सीट की चिंता करन?
बच्चे आजकल सब कुछ भूल जाते हैं परन्तु कोई बात नहीं। परन्तु मैं कहना चाहता हुँ कि वह मेरी सीट पर आ कर टिकट माँग कर दिखावे परन्तु मैं फिर कहूँगा कि चीमा साहब बहुत ताकतवर हैं। उस ने बहुत सी काम किये हैं, ख़ास कर कर वें गुरपर्व ’और। अच्छा काम किया है। उन्हों ने लोगों को बहुत कुछ दिया है, इस लिए उन की जीत को कौन चुनौती दे सकता है। परन्तु मैं हैरान हूँ कि मेरे बेटो ने अपने तौर पर चयन प्रचार शुरू कर दिया है और वह घबराने लगे हैं। मेरा बेटा अपने दम पर टिकट का दावा कर रहा है।
रंधावा के साथ आपका क्या झगड़ा है?
देखो, कैप्टन अमरिन्दर सिंह शुरू में मेरे साथ बहुत मेहरबान थे, फिर गुस्से हो गए परन्तु मैं उन को कभी बुरा नहीं कहा और न ही कहूँगा। आजकल चन्नी साहब भी मेरे ऊपर मेहरबान हैं तो मैं किसी के साथ क्यों झगड़ा करूँगा। ग्रह मंत्री ताकतवर होता है, इस लिए उन के साथ कोई विवाद नहीं हो सकता। यह पूछे जाने पर कि ऐस्स. ऐस्स. पी. लगाने के पैसे लिए जा रहे हैं तो जवाब था कि नौ कमैंटस।
कैप्टन मेरे राजनैतिक गुरू हैं, आज भी उन का सत्कार करता हां
राजनीती एक ऐसी खेल है, जिस में कौन कब पर और कब नीचे है, कोई पता नहीं लगता। रिसते बनते और बिगड़ते रहते हैं, परन्तु सिद्धांत पर हमेशा मज़बूत रहना चाहिए। राणा का स्टैंड हमेशा अचल रहा है। मैं कैप्टन अमरिन्दर सिंह को अपना गुरू मानता हूँ। परन्तु वह जो कि रहे है वह ठीक नहीं है। जिस पार्टी ने किसी व्यक्ति को 20 साल की खुली छुट्टी दी हो, उस के साथ सेवामुक्त हो कर ऐसा करना ठीक नहीं है। इस के बावजूद मैं कैप्टन ख़िलाफ़ कोई निजी टिप्पणी नहीं करूँगा। जब उन को पूछा गया कि आप कैप्टन को 10 में से कितने नंबर द्योगे, तो उन का जवाब था कि उन को नंबर देने वाला मैं कौन होता हूँ। यदि मैं उन की आलोचना करनी थी, तो मैं तब करता जब मैं उन के साथ सत्ता में थी। मेरा सिद्धांत है कि राजनीति में मुद्दों की राजनीति होनी चाहिए, निजी रंजिश निकालने से गुरेज़ करना चाहिए। मैं राजनैतिक तौर पर गलत को गलत और सही को सही कहूँगा। यहाँ तक कि मैं विरोधी पक्ष बारे गंदी राजनीति करन में विस्वास नहीं रखता।
विरोधी पक्ष कहता है कि घपले करन वाले विधायक को फिर मंत्री बनाया गया है?
मेरे ऊपर लगे दोश साबित नहीं हुए, मेरे मामलो की बाकायदा जांच हुई है, जिस में मैं बेकसूर पाया गया हूँ। मैं अपनी मर्ज़ी के साथ इस्तीफ़ा दिया था।
आपके ऊपर दोष है कि आपकी फ़ैक्टरियाँ का ज़हरीला पानी लोगों की सेहत ख़राब कर रहा है?
मैं चैलेंज करता हूँ कि यदि कोई इस बात को साबित कर दे तो मैं 5लाख रुपए का इनाम दूँगा। मेरे ख़िलाफ़ कुछ बलैकमेलर लोग प्रचार खड़ा कर रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर बिना मतलब प्रचार कर रहे हैं। मुझे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से कालीन सफेद दी गई है। मैं बाकायदा कई इनवायरियों का सामना कर चुका हूँ। मैं तो अपने काम के ज़ोर पर लोगों को रोज़गार मुहैया करवा रहा हैं।
पंजाब से इंडस्ट्री हिजरत कर रही है परन्तु आप कैसे तरक्की कर रहे हो? क्या राजनीति का फ़ायदा मिल रहा है?
मैं पहली पेपर मिल 1989 में स्थापित की थी। मैं 1990 में खाँड मिल लगाउनी शुरू की। जब कि उस समय किसी भी नेता ने अपने घर के बनेरे पर एक ईंट भी नहीं लगाई थी परन्तु राणा गुरजीत ने उस दौर में 35 करोड़ का निवेश किया था। गुरू तेग़ बहादुर जी की मेरे ऊपर कृपा हुई और कारोबार बढ़ा। राजनैतिक लाभ की बात करें तो राजनीति में आने से पहले ही मेरे कारोबार पर ईश्वर की कृपा था। तरक्की करना हर किसी का हक है। मेरा परिवार और मेरे बच्चे 16 -16 घंटे सख़्त मेहनत करते हैं, जिस के नतीजे के तौर पर मेरा कारोबार बढ़ता है। हालाँकि गंदी राजनीति कारण मैं ख़ुद यू. पी. में अपना कारोबार बडा रहा हूँ। पंजाब में राजनैतिक लोग ईर्ष्या करते हैं और प्रचार करते हैं। इस के इलावा मैं हरियाणा में भी अपना कारोबार बडा रहा हूँ। यदि मैं कोई गलती की होती तो आज इनकम टैकस और ई. डी. मुझे टिकने न देते। मैं 4000 एकड़ खेती छोड़ कर आया हूँ और उस समय हमारे खेतों में हैलीकापटर के साथ सपरेय करते होते थे।