पीएम के बयान की मांग पर अड़ा विपक्ष, सरकार ने कहा- हम चर्चा को तैयार
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (प्रेस की ताकत ब्यूरो)
संसद के मानसून सत्र में लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी मणिपुर हिंसा की प्रतिध्वनि सुनाई दी। विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग पर अड़ा रहा, जबकि सरकार ने कहा कि वह चर्चा के लिए तैयार है। दोनों सदन हंगामे की भेंट
चढ़ गए।
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही मणिपुर हिंसा के मामले में कांग्रेस, द्रमुक और वामदलों के सदस्य नारेबाजी करने लगे। कुछ सदस्यों के हाथों में तख्तियां थी जिन पर लिखा था, ‘इंडिया चाहता है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं।’ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि नारे लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसी बीच बिरला ने रक्षा मंत्री को अपनी बात रखने को कहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मणिपुर की घटना निश्चित रूप से बहुत ही गंभीर है और प्रधानमंत्री जी ने दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई के लिए कहा है। हम चाहते हैं कि इस पर सदन में चर्चा हो, लेकिन यहां कुछ ऐसे राजनीतिक दल हैं जो ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि मणिपुर की घटना पर सदन में चर्चा न हो।’ राज्यसभा में मणिपुर हिंसा, दिल्ली के सेवा मामले पर अध्यादेश के मामले में आप सदस्य संजय सिंह एवं भारत राष्ट्र समिति के के. केशव राव ने कहा कि मामला अदालत के विचाराधीन है, चर्चा नहीं हो सकती। सभापति ने कहा कि इस सदन को किसी भी मुद्दे पर चर्चा का अधिकार है। इसी बीच, मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गयी।
कांग्रेस ने की राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
कांग्रेस ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, ‘नरेन्द्र मोदी जी, आपने कल संसद के भीतर बयान नहीं दिया। यदि आप उस घटना से आक्रोशित होते तो कांग्रेस शासित राज्यों के साथ झूठी तुलना करने के बजाय पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर सकते थे।’ उन्होंने कहा, ‘भारत आपसे अपेक्षा करता है कि आप आज संसद में न केवल एक घटना पर, बल्कि 80 दिनों की हिंसा पर बयान देंगे। मणिपुर को लेकर राज्य और केंद्र में आपकी सरकार बिल्कुल असहाय और संवेदनहीन दिख रही है।’