चंडीगढ़, 3 मई:
पंजाब के जल संसाधन और भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने आज कहा कि पंजाब सरकार भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) की 5 मई को होने वाली बैठक का बहिष्कार करेगी।
बैठक को पूरी तरह से असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार देते हुए श्री गोयल ने कहा कि 255वीं विशेष बैठक बुलाने के लिए उचित प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा, “1976 विनियमन के नियम-3 के तहत बी.बी.एम.बी. को बैठक बुलाने से पहले सात दिनों का नोटिस देना अनिवार्य है।” उन्होंने कहा, “हम बैठक में तब तक भाग नहीं लेंगे, जब तक बी.बी.एम.बी. उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं करता।”
बी.बी.एम.बी. के अध्यक्ष को सख्त शब्दों में लिखे पत्र में पंजाब सरकार ने बैठक से पहले बी.बी.एम.बी. के समक्ष अपना पक्ष रख दिया है। राज्य सरकार ने लिखा है कि यह बैठक अनुचित तरीके से और स्थापित नियमों का उल्लंघन करके बुलाई गई है।
पत्र में स्पष्ट रूप से पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत जारी किए गए बी.बी.एम.बी. के विनियमन के नियम-3 का हवाला देते हुए लिखा गया है कि किसी भी ज़रूरी मुद्दे के लिए बुलाई जाने वाली विशेष बैठकों के लिए सभी सदस्यों को कम से कम सात दिनों का नोटिस देना ज़रूरी है।
श्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि 28 अप्रैल और 30 अप्रैल, 2025 को हुई बी.बी.एम.बी. की हालिया बैठकें भी अनिवार्य नोटिस अवधि का पालन किए बिना बुलाई गई थीं। इन बैठकों के लिए नोटिस क्रमशः 27 अप्रैल और 29 अप्रैल को निर्धारित तिथियों से सिर्फ एक दिन पहले जारी किए गए, जिससे इन बैठकों के दौरान लिए गए कोई भी फैसले कानूनी तौर पर संदिग्ध हो गए हैं।
जल संसाधन मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा, “नियम-3 स्पष्ट रूप से विशेष बैठकों के लिए कम से कम सात दिनों का नोटिस अनिवार्य करता है। स्थापित प्रक्रियाओं के प्रति बी.बी.एम.बी. की लगातार अनदेखी उस संवैधानिक ढांचे को कमज़ोर करती है, जिसके तहत बी.बी.एम.बी. काम करता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि पानी के बँटवारे के मुद्दे पर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र सोमवार 5 मई, 2025 को रखा गया है। इसलिए इस महत्वपूर्ण विधायी सत्र की तैयारियों के लिए बी.बी.एम.बी. द्वारा बैठक को स्थगित करने की आवश्यकता है।
पंजाब सरकार ने कहा है कि बी.बी.एम.बी. को उचित प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के अनुसार बैठक को फिर से बुलाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी हितधारक राज्य निर्णय लेने की वास्तविक स्थिति में हों।